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Monday, December 23, 2024

जालंधर में सरेआम गोलीबारी से लोगों में खौफ, पुलिस प्रशासन की सख्ती पर उठे सवाल

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जालंधर (पंजाब जागरण): जालंधर में नगर-निगम कौंसलर चुनाव के चलते अवतार नगर में कल दो युवकों पर सरेआम गोलियां चलीं, जिससे इलाके में दहशत फैल गई। यह घटना चुनावी माहौल में पुलिस प्रशासन की सख्ती और कड़ी कार्रवाई के दावों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। हालांकि, दोनों युवक अब खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं, लेकिन इस घटना ने जालंधर में बढ़ते अपराध और पुलिस की सुस्ती को उजागर कर दिया है।

चुनाव के दौरान प्रशासन द्वारा स्पष्ट आदेश दिए गए थे कि सभी लाइसेंसशुदा हथियार जमा करवाए जाएं, लेकिन इस घटना से यह साबित हो गया है कि आदेशों का पालन करने वालों की संख्या बेहद कम है। अवतार नगर जैसे व्यस्त इलाके में इस तरह सरेआम गोलीबारी ने पूरे शहर में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिरकार चुनावी माहौल में पुलिस प्रशासन इतनी बड़ी घटना पर पूरी तरह चुप क्यों रहा और क्यों कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई।

यह घटना जालंधर के कानून-व्यवस्था की स्थिति की सच्चाई को बेनकाब करती है, जहां अपराधियों को न केवल खुलेआम हिंसा करने की छूट मिली हुई है, बल्कि लोग भी अब सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। सरेआम गोलीबारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि जालंधर में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। पुलिस प्रशासन की सख्ती पर गंभीर सवाल उठते हुए नजर आ रहे हैं, क्योंकि इस तरह की घटनाओं पर काबू पाना प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है, लेकिन फिलहाल स्थिति उलटती दिख रही है।

इलाके के लोग इस घटना के बाद डर और घबराहट में हैं, और उनका मानना है कि अगर चुनावी दौर में ही इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, तो आने वाले समय में और भी बड़ी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। नागरिकों के बीच अब पुलिस के प्रति विश्वास की कमी हो रही है और उन्हें लगने लगा है कि प्रशासन का कंट्रोल कमजोर हो चुका है, जिससे आम लोग सुरक्षित नहीं हैं।

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चुनाव के दौरान प्रशासन द्वारा स्पष्ट आदेश दिए गए थे कि सभी लाइसेंसशुदा हथियार जमा करवाए जाएं, लेकिन इस घटना से यह साबित हो गया है कि आदेशों का पालन करने वालों की संख्या बेहद कम है। अवतार नगर जैसे व्यस्त इलाके में इस तरह सरेआम गोलीबारी ने पूरे शहर में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिरकार चुनावी माहौल में पुलिस प्रशासन इतनी बड़ी घटना पर पूरी तरह चुप क्यों रहा और क्यों कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई।

यह घटना जालंधर के कानून-व्यवस्था की स्थिति की सच्चाई को बेनकाब करती है, जहां अपराधियों को न केवल खुलेआम हिंसा करने की छूट मिली हुई है, बल्कि लोग भी अब सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। सरेआम गोलीबारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि जालंधर में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। पुलिस प्रशासन की सख्ती पर गंभीर सवाल उठते हुए नजर आ रहे हैं, क्योंकि इस तरह की घटनाओं पर काबू पाना प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है, लेकिन फिलहाल स्थिति उलटती दिख रही है।

इलाके के लोग इस घटना के बाद डर और घबराहट में हैं, और उनका मानना है कि अगर चुनावी दौर में ही इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, तो आने वाले समय में और भी बड़ी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। नागरिकों के बीच अब पुलिस के प्रति विश्वास की कमी हो रही है और उन्हें लगने लगा है कि प्रशासन का कंट्रोल कमजोर हो चुका है, जिससे आम लोग सुरक्षित नहीं हैं।

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