बिजनैस (पंजाब जागरण): आज सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की बोर्ड बैठक में तीन अहम मुद्दों पर चर्चा होने वाली है, जिनमें से सबसे प्रमुख मुद्दा SME (Small and Medium Enterprises) लिस्टिंग रेगुलेशन से संबंधित है। SEBI ने नवंबर 2024 में SME सेक्टर के लिए पारदर्शिता बढ़ाने और निवेशकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था। इस पेपर में SME लिस्टिंग से जुड़े कुछ अहम सुझाव दिए गए हैं, जिन पर आज चर्चा की जाएगी।
- मिनिमम एप्लीकेशन साइज को बढ़ाना:
SEBI ने यह सुझाव दिया है कि SME लिस्टिंग के लिए मिनिमम एप्लीकेशन साइज को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹2 से ₹4 लाख किया जाए। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल गंभीर निवेशक ही SME लिस्टिंग में भाग लें, जिससे बाजार में पारदर्शिता और स्थिरता बढ़ेगी। - HNIs और NIIs के लिए ड्रॉ ऑफ लॉट मेथोडोलॉजी:
SEBI का सुझाव है कि HNIs (High Net-worth Individuals) और NIIs (Non-Institutional Investors) के लिए ड्रॉ ऑफ लॉट मेथोडोलॉजी लागू की जाए, ताकि इन निवेशकों को लॉटरी प्रणाली के जरिए शेयर आवंटित किए जा सकें। इससे इस श्रेणी के निवेशकों के बीच समान अवसर सुनिश्चित होंगे। - NIIs को अलग-अलग श्रेणियों में बांटना:
SEBI ने यह भी सुझाव दिया है कि NIIs को छोटे और बड़े निवेशकों के तौर पर अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाए। इससे छोटे निवेशकों को बेहतर अवसर मिल सकेंगे और बड़े निवेशकों को अधिक अवसरों का लाभ मिलेगा। - OFS (ऑफर फॉर सेल) लिमिट:
SEBI ने OFS को इश्यू साइज के 20 से 25% तक सीमित करने का सुझाव दिया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कंपनियां अपनी हिस्सेदारी को सीमित मात्रा में ही बेचें, जिससे बाजार में कंपनी की स्थिरता बनी रहे। - मिनिमम अलॉटीज की संख्या बढ़ाना:
फिलहाल मिनिमम अलॉटीज की संख्या 50 है, जिसे बढ़ाकर 200 किया जाने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य निवेशकों के बीच बेहतर वितरण और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
इन सुझावों का उद्देश्य SME सेक्टर में अधिक पारदर्शिता और निवेशकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, ताकि इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिले और निवेशकों के हितों की रक्षा हो सके।